Rajasthan Assembly Elections 2023
जयपुर, 21 नवंबर, 2023 राजस्थान विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने एक व्यापक घोषणापत्र जारी किया है, जिसमें जाति जनगणना, महिला जनगणना जैसे प्रमुख सामाजिक मुद्दों को लक्षित करने वाले महत्वपूर्ण सुधार और पहल का वादा किया गया है। सशक्तिकरण, और किसान कल्याण।
Rajasthan Assembly Elections 2023 के घोषणापत्र की मुख्य विशेषताएं: समावेशन और विकास के प्रति प्रतिबद्धता
Rajasthan Assembly Elections 2023 कांग्रेस पार्टी का घोषणापत्र एक महत्वाकांक्षी योजना पेश करता है, जिसमें जाति जनगणना पर जोर दिया गया है। विभिन्न सामाजिक समूहों द्वारा लंबे समय से मांग की जा रही इस कदम का उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले समुदायों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझना और संबोधित करना है। पार्टी का मानना है कि विस्तृत जाति जनगणना अधिक लक्षित और प्रभावी सामाजिक कल्याण कार्यक्रम बनाने में सहायता करेगी।
महिलाओं के लिए, घोषणापत्र राज्य के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में उनकी भूमिका बढ़ाने का वादा करता है। इसमें रोजगार के अवसरों में वृद्धि, हिंसा और भेदभाव से निपटने के लिए मजबूत कानूनी ढांचे और पूरे राजस्थान में महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार के उपाय शामिल हैं।
घोषणापत्र किसान कल्याण के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है। इसमें फसलों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना, आधुनिक कृषि तकनीकों और इनपुट तक पहुंच में सुधार करना और ऋण सुविधाओं का विस्तार करना शामिल है। इन उपायों से कृषक समुदाय के सामने आने वाले संकट को कम करने और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने की उम्मीद है।
सशक्तिकरण और स्थिरता
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घोषणापत्र का अनावरण करते हुए कांग्रेस पार्टी के समावेशी और टिकाऊ राजस्थान के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने ऐसी नीतियों की आवश्यकता पर बल दिया जो अधिक समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हुए वर्तमान की तात्कालिक चिंताओं को दूर करें।
घोषणापत्र में पर्यावरणीय स्थिरता, शहरी विकास और तकनीकी उन्नति की योजनाएं भी शामिल हैं, जो शासन के प्रति पार्टी के समग्र दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
विशेषज्ञ विचार कर रहे हैं: संभावित प्रभाव और चुनौतियाँ
राजनीतिक विश्लेषक घोषणापत्र को कांग्रेस पार्टी के इरादे के एक मजबूत बयान के रूप में देखते हैं। हालाँकि, वे कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों, विशेषकर महत्वाकांक्षी कल्याण योजनाओं के साथ बजटीय बाधाओं को संतुलित करने में आने वाली चुनौतियों के बारे में भी आगाह करते हैं।
राजस्थान के लिए एक निर्णायक क्षण
Rajasthan Assembly Elections 2023 मे अपने प्रमुख नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए जातिगत जनगणना के मुद्दे को भी अपने घोषणापत्र में जगह दी है। कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनने पर जाति जनगणना कराने का वादा किया है। बता दें कि, राजस्थान में गहलोत सरकार ने 2011 में भी जातिगत जनगणना करवाई थी, उस समय राज्य और केंद्र दोनों जगह कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन उसके आंकड़े जारी नहीं किए गए थे। वहीं, 2015 में तत्कालीन सिद्धारमैया सरकार (कांग्रेस) ने कर्नाटक में 170 करोड़ रुपये खर्च कर जातिगत सर्वे कराया गया था। लेकिन इसके आंकड़े भी अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
अब कांग्रेस हर राज्य में जातिगत जनगणना के वादे तो कर रही है, जबकि उसने पिछले आंकड़े ही जारी नहीं किए हैं। यहाँ तक कि, प्रथम पीएम जवाहरलाल नेहरू से लेकर राजीव गाँधी तक सबने जातिगत जनगणना का विरोध किया था, लेकिन अब राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस इस मुद्दे के जरिए कुर्सी पाने की कोशिश में है। सियासी पंडितों का मानना है कि, कांग्रेस का प्लान ये भाजपा के हिन्दू वोटों में सेंध मारने का है, क्योंकि SC/ST को हिन्दू समुदाय से अलग करने में पार्टी काफी हद तक सफल रही है। अब उसकी नज़र OBC वोट बैंक पर है, जिनकी तादाद भी अधिक है और यदि उनमे से आधे भी जातिगत जनगणना के मुद्दे पर आकर्षित होकर कांग्रेस की तरफ हो जाते हैं, तो सत्ता का रास्ता आसान है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय तो कांग्रेस का कोर वोट बैंक है ही। ऐसे में जाति जनगणना का मुद्दा कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हो सकता है और भाजपा के हिन्दू वोट बैंक में सेंधमारी करने में पार्टी कामयाब हो सकती है।