Indian classical dance भारत विविध संस्कृतियों की भूमि है, और इसकी सबसे अनमोल धरोहरों में से एक है classical dance। ये नृत्य प्राचीन परंपराओं, पौराणिक कथाओं और इतिहास से जुड़े हुए हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी प्रोटेक्ट किए गए हैं। हर एक classical dance की अपना अलग स्टाइल , ड्रेस और इंपोर्टेन्स होती है। यहाँ हम भारत के आठ प्रमुख शास्त्रीय नृत्य रूपों की जानकारी देंगे, जिनमें उनकी विशेषताएँ और प्रमुख कलाकार शामिल हैं।
1. भरतनाट्यम (तमिलनाडु)
- उद्भव और महत्व: यह classical dance तमिलनाडु के मंदिरों से उत्पन्न हुआ और इसे देवताओं की भक्ति के लिए किया जाता था। इसकी विशेषताएँ हैं जटिल पैर संचालन, हस्त मुद्राएँ (मुद्राएँ) और चेहरे के भाव (अभिनय)।
- प्रसिद्ध नर्तक: रुक्मिणी देवी अरुंडेल, पद्मा सुब्रह्मण्यम, अलार्मेल वल्ली
- याद रखने की ट्रिक: “भारत की रुक्मिणी पद्मा पे वल्ली की तरह नाचती है।” (रुक्मिणी देवी और पद्मा सुब्रह्मण्यम को बेल की तरह नाचते हुए कल्पना करें।)
2. कथक (उत्तर प्रदेश)
- उद्भव और महत्व: यह classical dance उत्तर भारत की कथा वाचन परंपरा से विकसित हुआ। इसमें मुगल और फारसी संस्कृति का प्रभाव देखने को मिलता है, विशेष रूप से इसकी लयबद्ध पैरों की गतियों और ग्रेसफुल मूवमेंट्स में।
- प्रसिद्ध नर्तक: बिरजू महाराज, शोवना नारायण, कुमुदिनी लाखिया
- याद रखने की ट्रिक: “कथक का बिरजू शोवना कुमुदिनी जैसा है।” (बिरजू महाराज और शोवना नारायण को एक साथ नृत्य करते हुए कल्पना करें।)
3. कथकली (केरल)
- उद्भव और महत्व: यह classical dance नाटकीय शैली का है, जिसमें विस्तृत वेशभूषा, रंगे हुए चेहरे और हिंदू महाकाव्यों से प्रेरित नाटकीय अभिव्यक्ति होती है।
- प्रसिद्ध नर्तक: कलामंडलम गोपी, कीर्ति राज, कलामंडलम रामनकुट्टी नायर
- याद रखने की ट्रिक: “कथकली के कलामंडलम गोपी और रामनकुट्टी ने केरल सजाया।” (इन नर्तकों को भव्य कथकली पोशाक में कल्पना करें।)
4. कुचिपुड़ी (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना)
- उद्भव और महत्व: यह classical dance आंध्र प्रदेश के ब्राह्मण समुदाय से उत्पन्न हुआ और इसमें नाट्य-नृत्य का मिश्रण है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं अभिव्यक्ति, लय और मंचीय नाटकीयता।
- प्रसिद्ध नर्तक: यामिनी कृष्णमूर्ति, राजा रेड्डी और राधा रेड्डी
- याद रखने की ट्रिक: “कुचिपुड़ी की यामिनी राजा और राधा के साथ नाचती है।” (इन्हें एक साथ नृत्य करते हुए कल्पना करें।)
5. मणिपुरी (मणिपुर)
- उद्भव और महत्व: यह classical dance मणिपुर की वैष्णव परंपरा से प्रेरित है। इसकी विशेषता है कोमल गतियाँ, भक्ति भावना और पारंपरिक वेशभूषा।
- प्रसिद्ध नर्तक: झवेरी बहनें, गुरु बिपिन सिंह, दर्शना झवेरी
- याद रखने की ट्रिक: “मणिपुरी का झवेरी गुरु बिपिन के दर्शन कराता है।” (गुरु बिपिन सिंह को झवेरी बहनों को सिखाते हुए कल्पना करें।)
6. मोहिनीअट्टम (केरल)
- उद्भव और महत्व: यह केरल का पारंपरिक नृत्य है, जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें नरम और लयबद्ध गतियाँ होती हैं और यह विष्णु के मोहिनी रूप को समर्पित है।
- प्रसिद्ध नर्तक: कनक रेले, सुनंदा नायर, भारती शिवाजी
- याद रखने की ट्रिक: “मोहिनीअट्टम की कनक सुनंदा को भारतीय नारी बनाती है।” (कनक रेले और सुनंदा नायर को मोहिनी रूप में नृत्य करते हुए कल्पना करें।)
7. ओडिसी (ओडिशा)
- उद्भव और महत्व: यह classical dance भारत के सबसे प्राचीन नृत्य रूपों में से एक है, जिसकी उत्पत्ति ओडिशा के मंदिरों में हुई थी। इसकी विशेषताएँ हैं कोमल गतियाँ, मूर्तिकला जैसी मुद्राएँ और अभिनय के माध्यम से कहानी कहना।
- प्रसिद्ध नर्तक: केलुचरण महापात्र, सोनल मानसिंह, संजुक्ता पाणिग्रही
- याद रखने की ट्रिक: “ओडिसी के केलुचरण सोनल संजुक्ता एक साथ नाचते हैं।” (इन महान नर्तकों को मंच पर एक साथ परफॉर्म करते हुए कल्पना करें।)
8. सत्रिया (असम)
- उद्भव और महत्व: यह नृत्य असम के वैष्णव मठों (सत्रों) में विकसित हुआ। यह लय, भक्ति और नाटकीय प्रस्तुति का एक सुंदर मिश्रण है।
- प्रसिद्ध नर्तक: गुरु इंदिरा पी.पी. बोरा, जतिन गोस्वामी, अन्वेषा महंता
- याद रखने की ट्रिक: “सत्रिया का इंदिरा जतिन अन्वेषा को असम दिखा रही है।” (इन नर्तकों को असम की समृद्ध परंपरा प्रदर्शित करते हुए कल्पना करें।)
ये classical dance सिर्फ भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित ही नहीं करते, बल्कि रामायण और महाभारत जैसी महाकाव्यों की कहानियाँ भी सुनाते हैं। हर नृत्य अपने क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते है। प्रसिद्ध नर्तकों को याद रखने के लिए इन सरल ट्रिक्स का use करें और इस परंपरा को जीवंत बनाए रखें।
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