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हाइलाइट्स
इस दिन गोवर्धन पर्वत, भगवान श्रीकृष्ण और गो माता की पूजा करने का विधान है.
गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 43 मिनट से है.
इस बार गोवर्धन पूजा के दिन शोभन और अतिगंड योग बन रहे हैं.
गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को करते हैं. इस दिन गोवर्धन पर्वत, भगवान श्रीकृष्ण और गो माता की पूजा करने का विधान है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने देवताओं के राजा इंद्र के अहंकार को तोड़ा था. गोवर्धन पूजा के दिन को भगवान श्रीकृष्ण की जीत के रूप में भी मनाते हैं. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट मनाते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि कब है गोवर्धन पूजा? गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? गोवर्धन पूजा के दिन शोभन योग और अनुराधा नक्षत्र कब से कब तक है?
कब है गोवर्धन पूजा 2023?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 13 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से प्रारंभ हो रही है. इस तिथि का समापन 14 नवंबर दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा 14 नवंबर मंगलवार को होगी.
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गोवर्धन पूजा 2023 का शुभ मुहूर्त क्या है?
14 नवंबर को गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 43 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 52 मिनट तक है. उस दिन गोवर्धन पूजा के लिए आपको केवल 2 घंटे 9 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा.
शोभन योग और अनुराधा नक्षत्र में होगी गोवर्धन पूजा 2023
इस बार गोवर्धन पूजा के दिन शोभन और अतिगंड योग बन रहे हैं और अनुराधा नक्षत्र है. गोवर्धन पूजा पर शोभन योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 01 बजकर 57 मिनट तक है. उसके बाद से अतिगंड योग शुरू हो जाएगा. शोभन योग को एक शुभ योग माना जाता है. गोवर्धन पूजा के दिन सुबह से ही अनुराधा नक्षत्र होगी. अनुराधा नक्षत्र 15 नवंबर को 03:24 एएम तक है. उसके बाद से ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रारंभ है.
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गोवर्धन पूजा क्या करते हैं?
द्वापर युग से गोवर्धन पूजा की परंपरा चली आ रही है. एक बार ब्रज के लोग इंद्र देव की पूजा की तैयारी कर रहे थे. भगवान श्रीकृष्ण ने यशोदा माता से इंद्र की पूजा का कारण पूछा तो माता ने बताया कि इंद्र देव वर्षा करते हैं, जिससे फसल अच्छी होती है और धरती पर हरियाली छाई रहती है.
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि वर्षा करना तो इंद्र देव का कर्तव्य है. उनकी जगह गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए क्योंकि गोवर्धन पर गाय चरने जाती हैं और उनका पेट भरता है. फिर वो हमें दूध देती हैं. भगवान श्रीकृष्ण के सुझाव पर लोगों ने इंद्र देव की जगह गोवर्धन की पूजा की. इससे नाराज होकर इंद्र देव ने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी, जिससे चारों ओर हाहाकार मच गया.
तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठा लिया, जिसके नीचे लोगों ने शरण ली. इससे इंद्र का घमंड चूर हो गया. इंद्र देव ने भगवान श्रीकृष्ण से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी. उस दिन से गोवर्धन पूजा होने लगी.
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Tags: Dharma Aastha, Govardhan Puja, Lord krishna
FIRST PUBLISHED : November 7, 2023, 10:10 IST
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