दिवाली लक्ष्मी पूजा का पहला शुभ समय: शाम 05:39 बजे से शाम 07:35 बजे तक.
Diwali Puja दूसरा मुहूर्त: रात 11:39 बजे से देर रात 12:32 बजे तक.
सौभाग्य योग: शाम 04:25 बजे से 13 नवंबर को दोपहर 03:23 बजे तक.
दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को प्रदोष काल में मनाते हैं क्योंकि उस समय में ही माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं. इस साल दिवाली 12 नवंबर रविवार को है. उस दिन सौभाग्य योग और स्वाती नक्षत्र में मां लक्ष्मी की पूजा विधि विधान से की जाएगी. इस बार दिवाली पर पूजा के लिए दो शुभ मुहूर्त प्राप्त हैं. आप के लिए कौन सा लक्ष्मी पूजा मुहूर्त सही है? इसके बारे में बता रहे हैं तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव.
Diwali Puja 2023 का तिथि मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि का शुभारंभ: 12 नवंबर, रविवार, दोपहर 02:44 बजे से
कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि का समापन: 13 नवंबर, सोमवार, दोपहर 02:56 बजे पर
ये भी पढ़ें: धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं सोना-पीतल? जान लें ये 4 बड़े फायदे और सोना खरीदने का सही समय
2023 Diwali Puja का शुभ मुहूर्त
इस बार दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए 2 शुभ मुहूर्त हैं. पहला शुभ मुहूर्त शाम में और दूसरा मुहूर्त निशिता काल में है. आप जिस मुहूर्त में पूजा करना चाहें, उसे नीचे देख सकते हैं.
दिवाली लक्ष्मी पूजा का पहला शुभ समय: शाम 05:39 बजे से शाम 07:35 बजे तक
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा दूसरा मुहूर्त: रात 11:39 बजे से देर रात 12:32 बजे तक
आयुष्मान योग: 12 नवंबर, प्रात:काल से शाम 04:25 बजे तक
सौभाग्य योग: शाम 04:25 बजे से 13 नवंबर को दोपहर 03:23 बजे तक
स्वाती नक्षत्र: 12 नवंबर, प्रात:काल से 13 नवंबर को 02:51 एएम तक.
सौभाग्य योग में लक्ष्मी पूजा से बढ़ेगा भाग्य
सौभाग्य योग एक शुभ योग है, इसे मंगलकारी योग माना जाता है. दिवाली पर बनने वाला सौभाग्य योग आपके भाग्य में वृद्धि करने वाला है. वहीं स्वाती नक्षत्र भाग्य को प्रबल करने वाला, भूमि और भवन का सुख देने वाला है.
ये भी पढ़ें: कब है भाई दूज? क्यों कहते इसे यम द्वितीया? जानें तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त और महत्व
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा से जुड़ी 4 महत्वपूर्ण बातें
1. दिवाली को प्रदोष काल में मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है.
2. दिवाली पर आप माता लक्ष्मी की अकेले ही पूजा न करें क्योंकि मां लक्ष्मी चंचला हैं. वह एक जगह स्थिर नहीं रहती हैं. माता लक्ष्मी की पूजा गणेश जी के साथ करें.
3. गणेश जी माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र हैं. माता लक्ष्मी ने उनको वरदान दिया है कि जहां पर गणेश जी होंगे, वहां पर उनका वास स्थाई रूप से होगा.
4. दिवाली को आप माता लक्ष्मी और गणेश जी के साथ धनपति कुबेर की पूजा करें. कुबेर के पास अक्षय धन का भंडार है, जो कभी खत्म नहीं होता है. वो धन के रक्षक और देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं