अपडेटेड: 2 दिसंबर 2023
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर consumers के हितों की रक्षा के लिए, भारत सरकार ने ‘डार्क पैटर्न्स’ (dark patterns)का उपयोग banned कर दिया है। कंपनिया या कारोबार करने वाले लोग ‘डार्क पैटर्न्स'(dark patterns) के जरिये से ग्राहकों को धोखा देने या उनकी पसंद नापसंद को अपनी ओर आकर्षित या अपनी और प्रभावित करने की कोशिश करते है ‘डार्क पैटर्न्स'(dark patterns) वे चालाक डिजाइन और प्रैक्टिसेज हैं, जो consumers को उनकी इच्छा के विपरीत कुछ करने के लिए बहकाते हैं। इस तरह के उपाय consumers की ownership rights लेने की क्षमता और चयन पर आधिपत्य जमाने का प्रयास करते हैं
मुख्य बिंदु:
- ‘डार्क पैटर्न्स’(dark patterns) के उपयोग से उपभोक्ताओं के विकल्पों में हस्तक्षेप और उन्हें भ्रमित करने का खतरा होता है।
- इस तरह के तरीके उपयोग करने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार दंड का प्रावधान है।
- इस नियम का उद्देश्य सभी हितधारकों – खरीदारों, विक्रेताओं, बाजार स्थलों और नियामकों के बीच स्पष्टता लाना है।
इस मामले मे सचिव रोहित कुमार सिंह ने पीटीआई – भाषा से यह कहा की ई-कोमेर्स के बढ्ने के साथ साथ consumers को उनकी इच्छा के अनुसार किसी भी चीज़ की खरीददारी ओर उनके ऑप्शन मे हेरफेर करके उन्हे भटकाने ओर अपने फायदे के लिए डार्क पैटर्न्स'(dark patterns) का बहुत ही तेजी से उपयोग किया जा रहा है जिस प्रकार से लोगो की खरीददारी करने की गति बढ़ रही है ठीक उसी तरह से डार्क पैटर्न्स'(dark patterns) की गति मे भी बढ़ोतरी दिखाई दे रही है
उन्होने कहा की की notified guidance सभी खरीददारों, विक्रेताओ, बाज़ारों और सभी हलचलों के रूप मे मानय नही है
क्या है dark patterns
नहीं चलेगी अब यह डील जिससे हम होते थे गुमराह
दोस्तो, आज हम बात करेंगे एक ऐसे टॉपिक पर जो हम सभी के लिए जरूरी है – ऑनलाइन शॉपिंग और उसके डार्क पैटर्न्स। अब तक तो आपने देखा होगा कि कैसे ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर ‘सिर्फ दो घंटे के लिए 50% छूट’ जैसे ऑफर्स लगाकर हमें लुभाते हैं। लेकिन जनाब, ये सब कुछ ऐसे ही तो नहीं होता।
असल में, ये ‘डार्क पैटर्न्स’ का खेल है, जो हमारी खरीददारी की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। इसके जरिए कंपनियां हमें ये समझाने की कोशिश करती हैं कि ये ऑफर सिर्फ कुछ ही समय के लिए है, जबकि असलियत में ये अक्सर एक धोखा होता है। इन ऑफर्स के पीछे छुपी शर्तें ऐसी होती हैं कि हर कोई इनका फायदा नहीं उठा पाता।
और तो और, इससे वेबसाइट का ट्रैफिक भी बढ़ जाता है, और संभावना यह भी बढ़ जाती है कि आप बिना सोचे-समझे कुछ और खरीद लें। लेकिन दोस्तों, अब इस चालाकी पर रोक लग गई है। नए नियमों में सरकार ने साफ कहा है कि शॉर्ट टाइम डील्स के नाम पर ग्राहकों को गुमराह नहीं किया जा सकता।
इसका मतलब ये है कि अब डिस्काउंट्स और ऑफर्स को छिपाना या ग्राहकों पर सब्सक्रिप्शन का दबाव डालना मना हैनए नियमों के मुताबिक, अब इन चालों पर लगाम लगाई जाएगी। ई-कॉमर्स कंपनियां अब ग्राहकों को ‘शॉर्ट टाइम डील’ के नाम पर गुमराह नहीं कर सकेंगी। यानी वो दावे, जिनमें बोला जाता है कि ऑफर सिर्फ सीमित समय के लिए है, पर अब पाबंदी होगी। न ही उन्हें सब्सक्रिप्शन का दबाव बनाने की इजाजत होगी। और तो और, डिस्काउंट और ऑफर्स को भी छिपाया नहीं जा सकेगा।
इन नए नियमों से उम्मीद है कि ग्राहकों को ज्यादा स्पष्टता और ईमानदारी से डील मिलेगी। अब जब आप ऑनलाइन शॉपिंग करें, तो बिना किसी छल कपट के, आपको सच्ची और सही जानकारी मिलेगी। ये बदलाव ई-कॉमर्स जगत में एक नई और स्वच्छ शुरुआत का संकेत है, जहां ग्राहक का हित सर्वोपरि होगा।
उदाहरण और प्रभाव:
‘बास्केट स्नीकिंग’ और ‘फोर्स्ड एक्शन’ जैसे डार्क पैटर्न्स के उदाहरणों में उपभोक्ता की सहमति के बिना चेकआउट के समय अतिरिक्त वस्तुएं जोड़ना या उपभोक्ता को किसी अनावश्यक सेवा के लिए साइन अप करने के लिए बाध्य करना शामिल है। इससे उपभोक्ताओं की खरीदारी निर्णय प्रक्रिया में भ्रम और विकल्पों में हस्तक्षेप होता है
Dark Patterns Ban का मुख्य उद्देश्य
इस नई दिशा में, डिजिटल वाणिज्य क्षेत्र की पारदर्शिता और नैतिकता में सुधार की उम्मीद है, जिससे उपभोक्ता अधिक सशक्त और जागरूक होंगे
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स, विज्ञापनदाताओं और विक्रेताओं पर लागू होने वाले नियमों का महत्व
ई-कॉमर्स विपणन का विस्तार हमारी आधुनिक दुनिया में व्याप्तता और प्रभाव बढ़ा रहा है। ऑनलाइन कथित विपणन माध्यम की बढ़ती लोकप्रियता का परिणामस्वरूप, आजकल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स, विज्ञापनदाताओं और विक्रेताओं की संख्या में बहुतायता आनी चाहिए। इस विभिन्नता के साथ, उपभोक्ताओं की सुरक्षा और डिजिटल बाजार में उनके अधिकारों का संरक्षण हमेशा समस्यायें उठाता रहा है।
इस समस्या की गंभीरता को समझते हुए, सरकार द्वारा निर्धारित एक नियम लागू किया गया है, जो उपभोक्ताओं की सुरक्षा तथा अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ एक मजबूत स्टैंड लेता है। यह नियम सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स, विज्ञापनदाताओं और विक्रेताओं पर लागू होता है, जो भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार प्रथाओं से उपभोक्ताओं को बचाने का कार्य करते हैं।
एक महत्वपूर्ण उद्देश्य इस नियम का है, उपभोक्ताओं के विकल्पों में हस्तक्षेप करने वाले तरीकों पर नियंत्रण और उपभोक्ता संरक्षण में मजबूती आना। इससे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर अनुचित विज्ञापनों की छांटभिन्न, दिफ़ामेशन, स्पैमिंग और दुष्प्रचार को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, विविधता के बीच उच्च-मानक सुरक्षा नीतियों का अनुपालन करने से उपभोक्ताओं को गलती से असामान्य वस्तुओं या सेवाओं की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इस नियम के लागू होने के परिणामस्वरूप, ई-कॉमर्स सेक्टर में उपभोक्ता संरक्षण पर बड़ा ध्यान दिया जा रहा है। यह उपभोक्ताओं के लिए विश्वसनीय और सुरक्षित खरीदारी गतिविधियों को सुनिश्चित करता है और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स, विज्ञापनदाताओं और विक्रेताओं द्वारा शुद्ध और उच्च गुणवत्ता वाले वस्तुओं और सेवाओं के प्रस्ताव की प्रोत्साहना करता है।
एक महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि यह नियम ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के उपयोगकर्ताओं को लंबे समय तक आत्मविश्वास से खरीदारी करने की सुविधा प्रदान करता है। उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता, संपूर्णता और विश्वसनीयता के साथ उत्पादों और सेवाओं का चयन करने का विश्वास होता है।
इन सभी उद्देश्यों के प्राप्ति के लिए, उपभोक्ताओं की सुरक्षा और डिजिटल व्यापार में उनके अधिकारों का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स, विज्ञापनदाताओं और विक्रेताओं के लिए निर्धारित नियम न केवल उपभोक्ताओं को सुरक्षित बनाते हैं, बल्कि व्यवसाय को भी एक न्यायसंगत और निर्माणशील वातावरण प्रदान करते हैं। इसमें उपभोक्ताओं और व्यवसायों के बीच एक सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है, जो डिजिटल विपणन उद्यम के विकास और सफलता के लिए आवश्यक है।