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विराट कोहली, जिन्हें विश्व क्रिकेट में एक मास्टर बल्लेबाज़ के रूप में माना जाता है, ने हाल ही में एक सार्वजनिक घटना में बिना किसी झिझक के स्वीकार किया कि पाकिस्तानी कप्तान बाबर आज़म वर्तमान में क्रिकेट के सभी फ़ॉर्मेट में शीर्ष बल्लेबाज़ में से एक हैं।
कोहली के इस बयान का महत्व इसलिए भी है क्योंकि वे ऐसे खिलाड़ी नहीं हैं जो बिना सोचे-समझे किसी भी मुद्दे पर अपनी राय दें। उनकी इस टिप्पणी का और भी महत्व बढ़ जाता है जब उन्हें और बाबर आज़म को आपस में तुलना की जाती है।
बाबर आज़म ने अपनी प्रतिभा और संघर्ष से आईसीसी की रैंकिंग में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। लेकिन, जब वह वर्ल्ड कप के महत्वपूर्ण मुक़ाबलों में बड़ी पारी नहीं खेल पा रहे हैं, तो पाकिस्तानी क्रिकेट प्रेमियों और विशेषज्ञों में चिंता का माहौल है।
उनका मानना है कि एक खिलाड़ी की वास्तविक परीक्षा उस समय होती है जब उसे अपनी टीम को मुश्किल से बाहर निकालने के लिए बड़ी पारी खेलनी होती है। और अगर वह इसमें सफल नहीं होता, तो उसकी शीर्ष रैंकिंग और उसकी प्रतिभा पर सवाल उठते हैं।
इसलिए, जब भी बाबर आज़म की बारी आती है बड़े मुक़ाबलों में प्रदर्शन करने की, तो उन पर बहुत अधिक दबाव होता है। उन्हें अपनी टीम को जीत दिलाने के लिए अपनी प्रत
िभा का सही उपयोग करना होता है, ताकि उन पर उठाए गए सवालों का जवाब दिया जा सके।
हार के लिए बाबर आज़म की ओर इशारा करना कितना उचित है?
उप-महाद्वीप की क्रिकेट में एक अद्वितीय संस्कृति है, जिसमें कप्तान की भूमिका और उसकी जिम्मेदारियाँ अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। जब टीम हारती है, तो आमतौर पर कप्तान ही उस हार के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
पूर्व कप्तान राशिद लतीफ़ ने हाल ही में बाबर आज़म की तुलना विराट कोहली से की है, जब वे अपने करियर के शुरुआती दौर में थे। उस समय कोहली पर यह आरोप था कि वह टीम के अन्य खिलाड़ियों की राय नहीं सुनते। वहीं, पूर्व तेज़ गेंदबाज़ आक़िब जावेद का मानना है कि शाहीन शाह अफ़रीदी बाबर से अधिक योग्य कप्तान हो सकते हैं।
इस प्रकार की टिप्पणियाँ और तुलनाएं उप-महाद्वीपीय क्रिकेट में आम नहीं हैं। जब भी टीम में किसी संकट की स्थिति आती है, तो आलोचना और टिप्पणियाँ बढ़ जाती हैं।
लेकिन, यहाँ पर एक महत्वपूर्ण बात है कि कप्तान के पास कैसी टीम है? क्या वह टीम में मौजूद सभी खिलाड़ियों का सही उपयोग कर पा रहा है? क्रिकेट में एक प्राचीन कहावत है कि कप्तान की पहचान उसकी टीम के खिलाड़ियों से होती है। अगर टीम में अच्छे खिलाड़ी होते हैं, तो कप्तान भी अच्छा दिखता है।
इसलिए, बाबर आज़म या किसी भी अन्य कप्तान को उनकी टीम के प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकित करना चाहिए, न कि केवल उनकी व्यक्तिगत प्रदर्शन या नेतृत्व श
ैली पर।
आजकल क्रिकेट प्रेमियों की जुबां पर रोहित शर्मा की बल्लेबाज़ी और उनकी कप्तानी की तारीफ़ है। लेकिन अगर हम वक्त की पीछली ओर देखें, तो सिर्फ़ एक साल पहले उन्हें और पूर्व कप्तान तथा अबका कोच राहुल द्रविड़ को आलोचना का सामना करना पड़ा था।
यह वह समय था जब भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया में आयोजित T20 वर्ल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी। लेकिन इस विफलता के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण था, जिसे अधिकांश लोगों ने नजरअंदाज किया। उस टीम में जसप्रीत बुमराह नहीं थे, जिनकी गेंदबाज़ी से किसी भी कप्तान की स्ट्रेटेजी में नई ऊर्जा आ जाती है।
आजकल, जसप्रीत बुमराह के अलावा, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज भी अपनी गेंदबाज़ी से दुनिया को हैरान कुंभित कर रहे हैं। रवींद्र जडेजा का ऑलराउंड प्रदर्शन भी नजर आ रहा है, और विराट कोहली ने अपनी पूरानी फॉर्म को वापस पाया है।
हार्दिक पंड्या की चोट की वजह से उनकी अनुपस्थिति हो सकती है, लेकिन उनकी जगह अन्य खिलाड़ी उत्थान कर रहे हैं। सूर्यकुमार यादव, शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर, शार्दुल ठाकुर और रविचंद्रम अश्विन – सभी ने अपनी प्रतिभा और क्षमता का प्रदर्शन किया है।
इसलिए, जब टीम में इतने सारे प्रतिभाशाली खिलाड़ी हो, तो किसी भी कप्तान को अपने खिलाड़ियों पर पूरा भरोसा होता है, और वह उन्हें अधिक स्वतंत्रता दे सकता है। इसलिए, रोहित शर्मा की कप्तानी और उनकी टीम की प्रदर्शन में सुधार देखना अच्छा लगता है।
बाबर को मिली है औसत टीम
आजकल क्रिकेट के मैदान पर बाबर आज़म की टीम का प्रदर्शन विशेष रूप से चर्चा में है। जब भी पाकिस्तानी टीम की बात होती है, तो उसकी गेंदबाज़ी की ताक़त का ज़िक्र अवश्य होता है। लेकिन इस बार, उस ताक़त में कुछ कमी दिखाई पड़ रही है।
शाहीन शाह अफरीदी, जिसे टीम का स्टार गेंदबाज़ माना जाता है, उसने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ पारी में पाँच विकेट तो लिए, लेकिन भारत और अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ उसकी गेंदबाज़ी सामान्य रही।
बल्लेबाज़ी की बात करें तो, मोहम्मद रिज़वान और अब्दुल्लाह शफ़ीक़ के अलावा बाकी सभी बल्लेबाज़ सामान्य प्रदर्शन कर रहे हैं। इसका मतलब है कि टीम के अधिकांश खिलाड़ी अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।
और जब बात पाकिस्तानी गेंदबाज़ी की हो, तो पूर्व कप्तान और महान गेंदबाज वसीम अकरम और वकार युनूस की उम्मीदें हमेशा ऊंची रहती हैं। लेकिन इस बार, उन्हें अपने गेंदबाज़ों से निराशा हाथ लगी है।
अफ़रीदी का इकॉनमी रेट छह रन प्रति ओवर है, जबकि बुमराह का इकॉनमी रेट सिर्फ़ चार है। इसका मतलब है कि अफ़रीदी अधिक रन दे रहे हैं, जबकि बुमराह अधिक संघर्षशील हैं।
हसन अली और हारिस रऊफ़ ने भी अच्छा प्रदर्शन दिखाया है, लेकिन उनका इकॉन
मी रेट भी अधिक है। और जब बात स्पिन गेंदबाज़ों की होती है, तो शादब ख़ान और मोहम्मद नवाज़ ने भी सामान्य प्रदर्शन दिखाया है।
इस सबका मतलब है कि पाकिस्तानी टीम में कुछ गड़बड़ है, जिसकी वजह से उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं हो पा रहा है। और इस समस्या का समाधान टीम के कप्तान बाबर आज़म को खोजना होगा।
पूर्व कप्तान मोहम्मद यूसुफ़ ने भी बाबर का समर्थन किया है और कहा है कि सिर्फ़ उस पर आलोचना करना सही नहीं है। उनका मानना है कि पूरी टीम को मिलकर समस्या का समाधान खोजना होगा।