आज का पंचांग: आश्विन मास की शुक्ल पूर्णिमा
आज की तारीख, 28 अक्टूबर 2023, भारतीय पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा है। इस दिन का पंचांग खासकर धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण होता है, और यह दिन विशेषत:
तिथि और नक्षत्र:
- आज की तिथि पूर्णिमा है, जिसका मतलब है कि चंद्रमा पूर्ण रूप से दिखाई दे रहा है।
- आज के दिन चंद्रमा मेष राशि में स्थित है, जिसे हिन्दी ज्योतिष में मेष नक्षत्र कहा जाता है।
मुहूर्त और राहुकाल:
- आज का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:42 बजकर 12:27 बजकर तक रहेगा, जिसे शुभ मुहूर्त के रूप में माना जाता है।
- आज का राहुकाल सुबह 09:17 बजकर से 10:41 बजकर तक रहेगा, और यह समय अशुभ माना जाता है, इसलिए विशेषत: कार्यों की अवश्यकता है।
पंचांग का महत्व: हिन्दू पंचांग को वैदिक पंचांग के रूप में भी जाना जाता है, और इसका महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ ही दैनिक जीवन में भी होता है। पंचांग का उपयोग समय और काल की सटीक गणना के लिए किया जाता है, और यह ज्योतिष और धार्मिक आयामों का मिश्रण होता है।
पंचांग के पाँच घटक:
- तिथि: पंचांग की प्रमुख घटक होती है तिथि, जिसमें दिनांक की जानकारी होती है। तिथियाँ पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी, पौर्णमासी, आदि को दर्शाती हैं।
- नक्षत्र: नक्षत्र का जिक्र इसके साथ होता है, जिसमें चंद्रमा की स्थिति का विवरण होता है।
- वार: पंचांग में सप्ताह के दिनों का उल्लेख होता है, जिससे लोग जान सकते हैं कि किस दिन कौनसा व्रत या त्योहार है।
- योग: योग एक और महत्वपूर्ण घटक होता है जो दिन की गणना में शामिल होता है। यह धार्मिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण होता है।
- करण: करण भी दिन की गणना में एक और घटक होता है, और यह दिन के कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होता है।
आज का दिन: आज की पूर्णिमा के दिन रेवती और अश्विनी नक्षत्र का संयोग हो रहा है, जो धार्मिक प्रतिष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण है। यह विशेष तरह से विवाह और यज्ञ के समय बड़ा महत्वपूर्ण होता है।
धार्मिक महत्व: पूर्णिमा तिथि को भारतीय हिन्दू संस्कृति में बड़ा महत्व दिया जाता है, और इसे विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है, और व्रत और दान करने का अच्छा समय माना जाता है।
तिथि | पूर्णिमा | 25:53 तक |
नक्षत्र | रेवती अश्विनी | 07:31 तक 29:54 तक |
प्रथम करण द्वितिय करण | विष्टि बव | 15:03 तक 25:53 तक |
पक्ष | शुक्ल | |
वार | शनिवार | |
योग | वज्र | 22:52 तक |
सूर्योदय | 06:30 | |
सूर्यास्त | 17:38 | |
चंद्रमा | मेष | 07:31 तक |
राहुकाल | 09:17−10:41 | |
विक्रमी संवत् | 2080 | |
शक सम्वत | 1944 | |
मास | आश्विन | |
शुभ मुहूर्त | अभिजीत | 11:42 − 12:27 |
पंचांग के पांच अंग
हिन्दू पंचांग को वैदिक पंचांग के रूप में भी जाना जाता है। पंचांग का उपयोग समय और काल की सटीक गणना के लिए किया जाता है। पंचांग मुख्य रूप से पांच घटकों से मिलकर बनता है, जिनमें तिथि, नक्षत्र, वार, योग, और करण शामिल होते हैं। यह पंचांग हमें दैनिक मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिन्दू महीने, और पक्ष की जानकारी प्रदान करता है।
- तिथि: हिन्दू पंचांग में तिथि का महत्वपूर्ण स्थान है। तिथियां मासिक चंद्रमा के प्रत्येक वर्ण में होती हैं, और वर्णों के आधार पर तिथियों को बाँटा जाता है, जैसे कि पूर्णिमा और अमावस्या।
- नक्षत्र: हिन्दू पंचांग में आकाश में स्थित तारा समूहों को नक्षत्र कहा जाता है। यह नक्षत्र ग्रहों के साथ संबंधित होते हैं और विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, और इत्यादि।
- वार: हिन्दू पंचांग में सप्ताह के सात दिनों को वार कहा जाता है, जैसे सोमवार, मंगलवार, बुधवार, और इत्यादि।
- योग: योग नक्षत्रों की स्थितियों को दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है, और इसमें 27 प्रकार के होते हैं, जैसे विष्कुम्भ, प्रीति, और इत्यादि।
- करण: हिन्दू पंचांग में दिन को दो करणों में बाँटा जाता है, जैसे बव, बालव, और इत्यादि। करण भी महत्वपूर्ण होते हैं और विभिन्न प्रकार के होते हैं।