आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसे गूढ़ और गहरे विषय पर, जिसका नाम है धर्मो रक्षति रक्षितः । हिन्दू धर्म जीवन जीने के शानदार तरीकों से भरा हुआ है और आवश्यकता है तो सिर्फ इस बात की के हम इस महान धर्म की विभिन्न ग्रंथों को पढ़कर चिंतन व मनन करें।
धर्मो रक्षति रक्षितः श्लोक सुनते ही ज़हन में तरह-तरह के विचार आते हैं, मंदिरों की घंटियां, पवित्र नदियों का सलिल, धर्मग्रंथों के श्लोक – सब कुछ एक साथ घूमने लगता है। लेकिन असल में धर्म क्या है? इसका हमारे जीवन में क्या महत्व है? और ये कहावत “धर्मो रक्षति रक्षितः” आखिर हमें क्या सिखाती है?
धर्मो रक्षति रक्षितः पूर्ण श्लोक
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो।
Manusmriti 8.15.
धर्म क्या है?
धर्म की परिभाषा देना उतना ही मुश्किल है, जितना कि हवा को पकड़ना। हर व्यक्ति, हर संस्कृति, हर धर्मग्रंथ इसे अलग-अलग तरीके से समझता है। लेकिन मूल रूप से, धर्म हमें सही और गलत, अच्छे और बुरे के बीच रास्ता दिखाने वाला एक नैतिक कम्पास है। ये वो सिद्धांत हैं, जिन पर चलकर हम एक सार्थक और सुखी ज़िंदगी जी सकते हैं।
धर्म का महत्व
धर्म हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये हमें दिशा देता है, हमारे मूल्यों को मजबूत करता है, और हमें एक अच्छा इंसान बनने में मदद करता है। धर्म हमें दूसरों के प्रति दया, करुणा और प्रेम का भाव जगाता है। ये हमें ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और नैतिकता के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है।
धर्मो रक्षति रक्षितः पूर्ण श्लोक
“धर्मो रक्षति रक्षितः” एक प्रसिद्ध संस्कृत वाक्यांश है जो महाभारत और मनुस्मृति में मिलता है। इसका अर्थ है “धर्म उन लोगों की रक्षा करता है जो इसकी रक्षा करते हैं”। मनुस्मृति श्लोक 8.15 इस विचार को समर्थन करता है, जिसमें कहा गया है कि धर्म हत्या करने वाले को हानि पहुंचाता है और धर्म रक्षा करने वाले को सुरक्षित रखता है।”
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः तस्माद् धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्
मनुस्मृति 8.15
इस बात से साबित होता है कि धर्म का पालन करना हमें सुरक्षित और स्थिर बनाए रखता है। यह विचार धार्मिकता और नैतिकता के साथ जुड़ा होता है और हमें यह सिखाता है कि हमें धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए ताकि हम और हमारे समाज में सद्गुण प्रबर्धन हो सके।”
“धर्मो रक्षति रक्षितः” का शाब्दिक अर्थ है “जो धर्म की रक्षा करते हैं, धर्म उनकी रक्षा करता है।” ये सरल वाक्य एक गहरा सच छुपाए हुए है। जब हम धर्म के सिद्धांतों का पालन करते हैं, अच्छे कर्म करते हैं, और समाज के हित के लिए काम करते हैं, तो धर्म हमें अपने आशीर्वाद से नवाज़ता है। ये आशीर्वाद हमें शांति, खुशी और सफलता प्रदान करते हैं।
धर्मो रक्षति रक्षितः के जीवन मे उदाहरण
इस कहावत के असल ज़िंदगी में अनगिनत उदाहरण मिलते हैं। इतिहास के पन्नों में ऐसे महापुरुषों की कथाएं भरी पड़ी हैं, जिन्होंने धर्म के मार्ग पर चलकर विपरीत परिस्थितियों पर विजय प्राप्त की और समाज को सकारात्मक बदलाव की ओर अग्रसर किया। महात्मा गांधी, मदर टेरेसा, और नेल्सन मंडेला ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं, जिन्होंने अपने जीवन को दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया और धर्म के सच्चे अर्थ को जिया।
अपना धर्म कैसे जियें?
तो हम अपने जीवन में “धर्मो रक्षति रक्षितः” के सिद्धांत को कैसे अपना सकते हैं? ये कुछ आसान तरीके हैं:
- नैतिकता का पालन करें: हमेशा सच बोलें, ईमानदारी से काम करें, और दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप चाहते हैं कि आपके साथ किया जाए।
- दयालु बनें: दूसरों के दुख-सुख में शामिल हों, जरूरतमंदों की मदद करें, और करुणा का भाव रखें।
- अपने कर्मों पर ध्यान दें: जो हम करते हैं, वही हमें वापस मिलता है। इसलिए अच्छे कर्म करते रहें, ताकि अच्छाई ही आपका पीछा करे।
- समाज के लिए योगदान दें: अपने आस-पास की दुनिया को बेहतर बनाने के लिए कुछ न कुछ करें। ये कोई बड़ा काम नहीं भी हो सकता है, बस एक मुस्कान, एक मदद का
निष्कर्ष
“धर्मो रक्षति रक्षितः” एक ऐसी कहावत है, जो हमें धर्म के महत्व और उसके आशीर्वाद के बारे में बताती है। जब हम धर्म के सिद्धांतों का पालन करते हैं, तो हम एक अच्छा इंसान बनते हैं, और हम दूसरों के लिए भी एक अच्छा उदाहरण बनते हैं। इससे हमारे जीवन में शांति, खुशी और सफलता आती है।
तो आइए हम सब मिलकर इस कहावत को अपने जीवन में उतारें और एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जहां धर्म का प्रकाश हर जगह फैले और हर कोई खुश और समृद्ध हो।
धन्यवाद!
कुछ अतिरिक्त विचार
- धर्म हमारे जीवन में एक मार्गदर्शक की तरह है। ये हमें सही रास्ता दिखाता है और हमें गलत रास्ते से बचाता है।
- धर्म हमें दूसरों के साथ प्रेम और करुणा से पेश आने की प्रेरणा देता है।
- धर्म हमें एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है।
सभी धर्मों में एक समानता है, और वो है धर्म। हर धर्म अपने-अपने तरीके से हमें सही और गलत के बीच का अंतर समझाता है। इसलिए, हमें अपने धर्म के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए और दूसरों के साथ प्रेम और करुणा से पेश आना चाहिए। इससे हम अपने जीवन में सुख और शांति प्राप्त कर सकते हैं।